Sunday, December 24, 2017

आईने में खड़े होकर देखा मैंने,

मुझमें सिर्फ़ तेरा ही अक़्स दिखा...!!!

Tuesday, December 19, 2017

“I hope you fall in love with someone who never fails to remind you how much they love you.
Someone who sends you good morning texts cause you’re their first thought in the morning.

I hope you fall in love with someone who wants to know all about how your day was. Someone who asks you if you had your meals on time. Someone who tells you to be safe when you’re out. And someone who continues to talk to you even though you’re terrible at texting.

I hope you fall in love with someone who doesn’t get mad at you for forgetting to text them back or for forgetting to do something they asked you to do. I hope you fall in love with someone who doesn’t hesitate to apologize first after an argument cause their love for you is a thousand times greater than their ego.

I hope you fall in love with someone who supports you in the things you’re passionate about. Someone who always motivate you do better. Someone who tells you how proud they’re of you. Someone who makes you believe how amazing your work is.

I hope you fall in love with someone who’d love you so much that you’d forget everything that broke you in the past and erase all the bad memories.

I hope you fall in love with someone who gives you all the happiness in the world. Not only because seeing you happy would make me the happiest but also because you deserve all the happiness in this whole wide world.”

Pal....

Wednesday, November 29, 2017

कश्मीर में सर्दी ना होती,
मुम्बई में गर्मी ना होती,
हम भी  अपनी महबूबा की बाहों में होते,
गर जिस्म पर ये वर्दी ना होती।।।

Grand salute to our soldiers
Jai_Hind

Monday, November 27, 2017

कतरा कतरा जलाया है तेरे इश्क ने मुझे,

अब ज़र्रा ज़र्रा हर पल सुलगती हूँ मैं...!!!

Wednesday, November 22, 2017

वादा


हाँ... मैं अपना वादा निभाऊंगी,
हर हाल में मुस्कुराऊँगी...
पर... एक वादा तुम भी दो...

वादा करो...
जब जब जाओगे... लौट कर आओगे तुम...
मेरे लिए नहीं... तो न सही...
उस माँ के लिए... जिसका छोटा सा संसार हो तुम,
उस बहन के लिए...
जिसकी राखी के कर्जदार हो तुम...।

मेरे लिए नहीं... तो न सही...
उस पिता के लिए...
जो पलकों में छिपाकर आंसू कही,
हर बार तुम्हे विदा करने चले आते हैं...
तुम पढ़ न लो आँखों से दर्द अनकहे,
ये सोच... नज़रे चुराते हैं,
मुड़कर... मन भरकर...
तुम्हे देखने से कतराते हैं...
आंसू कर न दें कमजोर कहीं,
इस डर से... बिन कुछ कहे...
फिर नए इंतज़ार पर निकल जाते हैं...।

तुमने एक यही तो माँगा था, की हंसा करूँ हर हालातों में,
हाँ... मैं हसूँगी, मुस्कुराऊँगी,
तब तक... जब तक तुम वादा निभाओगे...
वादा करो... जब जब जाओगे... तुम लौट कर आओगे..।।

Tuesday, November 21, 2017

हम तुमसे न कुछ कह पाये
तुम हमसे न कुछ कह पाये .......
कुछ रिश्तों का सफर खामोशी से ही शुरू होता है और वो सन्नाटा हमेशा के लिये लकीर बन जाता है। ऐसा नहीं है के हम एकदूसरे को कुछ कहना या सुनना नहीं चाहते है, लेकिन कहीं किसी के जज्बात आहात न हो जाये उस ड़र से वो अनचाही चुप्पी हमेशा बरकरार रहती है। क्योंकि जो मिला है वो भी मुश्किल से मिला है कहीं कुछ कहने सुनने में हम एक अच्छा साथी न खो दे! और ये भी हो सकता है दोनों के तार एक ही जगह जुड़े हो लेकिन मज़िल एक न होने से रास्ते अलग अलग चुन लेते है। नदी के वो दो किनारे बनकर रह जाते है जो साथ होते हुए भी कभी एकदूसरे से मिल नहीं पाते और बीच में एहसास की दास्तां पानी बनकर बहती रहती है। कभी कभी दिल बैठ सा जाता है, "लगता है ड़र ये, बात ये दिल की, दिल में न रह जाये.... हम तुमसे न कुछ कह पाये, तुम हमसे न कुछ कह पाये...."

कभी कभी यूँ खामोश निगाहों से एकदूसरे को बड़ी जिजक के साथ बताने की कोशिश करते है, "तुम सुनो गौर से क्या कह रहा है समां, हमनशी छेड़ दो चाहत भरी दास्तां...." और जैसे कहाँ के दिल के तार जुड़े होते हो तो इशारें ट्यूनिंग सेट कर ही लेती है। आंखों से बयाँ भी हो जाता है और आंखों से ही इज़हार भी हो जाता है और फिर आंखों से ही जज्बात भी निकल जाते है, "इतने दिनों तक कुछ ना बताये, तुम हमकों तड़पाये.... हम तुमसे न कुछ कह पाये, तुम हमसे न कुछ कह पाये...."

कुछ रिश्तों के धागे ऐसे ही होते है, जो न एकदूसरे से जुड़े होते है नाही एकदूसरे से जुदा, न उसमें कभी गाँठ लगानी पड़ती है न खींचकर धागा लंबा करना होता है...... यूँही बेज़ुबान सी कहानी चलती रहती है जिसमें कहना सुनना कुछ नहीं होता बस मेहसूस करना होता है!
-YJ

Saturday, November 11, 2017

संग तेरे फिर जीना है उम्रभर

तेरी तलाश को अपना मुकाम बना लूँ ....

फिर जरा मैं भी जी लूँगा ....,

तेरी चाहत को अपना विश्वास उढ़ा दूँ ...

फिर जरा मैं भी जी लूँगा ....,

तेरी सोच को अपने शब्दों में ढ़ाल लूँ ...

फिर जरा मैं भी जी लूँगा ....,

तेरे आँचल में अपनी दुनिया बसा लूँ ...

फिर जरा मैं भी जी लूँगा ....,

तेरी रूह में खुद को उतार लूँ ...

संग तेरे फिर , जी भर जियूँगा ....

उम्र भर

Friday, November 10, 2017

नया कदम

लिखना फिर से शुरू करना ऐसा है जैसे कोई पिंजड़े से किसी बेबस पंछी का आज़ादी की उड़ान की तरफ पहला पंख फैलाना... आज मैं भी इतने सालो बाद फिर इस  आगंन मैं अपनी शब्दो के साथ शुरू करना चाहती हूँ।