Friday, March 27, 2015



पानी  फ़ेर् दो इन पत्तो पर कोइ 
ताकि धूल जाए  स्याहि 
जिन्दगी फ़िर् से लिखने 
का मन होता है 
कभी  -  कभी ....

पलक 

1 comment:

संजय भास्‍कर said...

बहुत पसन्द आया
.... पढवाने के लिये हार्दिक धन्यवाद