Thursday, March 13, 2014



अगर आसमान तक मेरा हाथ जाता

तो चाद तोड  कर तेरे हाथो  मै पह्नाता  ....


तेरी फ़ितरत पर मुजे कोइ शक़ नही ..

तुजे पा लेना ही  शायद मेरे हक़ मै नही ..

पल 


Wednesday, March 12, 2014

वो खत ..





आज एक पुरानी याद से अचानक  सामना हो गया 

ना जाने क्यु  उस खत को  देखकर रो पडे ..

उस खत मे जो अजाब्  था..

कुछ सुखे हुए गुलाब थे ...

कुछ सवाल थे ..

कुछ जवाब थे ...

कही  हसी थी ..

कही दर्द  था ...

कही जूठा गुस्सा ..

तो कही बेबाक  महोब्बत  के इकरार  थे ..

उस खत  कि सिहायि  का रंग 

आज भी सुर्ख लाल था...

उस खत  के हर कोने  पर ..

महोब्बत के निशान थे...

वो खत हमारी महोब्बत के गवाह थे ....



Tuesday, March 11, 2014



जिस सूरत से....

मेरा वजुद् ...

मेरी पेहचान  रही ....

अफ़्सॊस् ..

वही  सूरत मेरे इश्क़् से 

अनजान रही ...

धडकनो मै  मैने बसाया था उनको 

ना जाने मेरी वो धडकने क्यू मुज 

से बेइमान  रही .....






दिन   कि रोशनी मै बिखर जाती  है यादे  तेरी......
और रात बीत जाती  है तेरी यादे समेट ने मे ......

पल