Tuesday, December 4, 2012


मै कतरा  कतरा  बरसात मै बरसू गी 
जो उन बरिसो  मै भीगो तो याद करना 

मै सास सास  तेरी यदो मै बसी  हू 
जब सास को उखरता पाओ तो याद करना 

मै लम्हा लम्हा तेरी याद मै जलती  हू  
कभी खुद को खुद से खफ़ा पाओ तो याद करना 

मै रात रात तुजे रब से मगती  हू  

कभी तुम भी हाथ उठा ओ  तो याद करना 

पलक 

1 comment:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

भाव अच्छे हैं .... सास की जगह सांस कर लें ॥और भी जगह वर्तनी देखें ।