Sunday, August 22, 2010

याद .....!!


यहाँ मेरे अस पास
छूट गया था कुछ उस का
ऐसे उस ने मुझे कभी बताया था
चाय की प्याली पर कुछ निशान
जहा हम मिला करते थे
बैठे की जगह पर उस की हलकी सी छुवन
अस पास की हवाओ मै
घुली हुए सी कुछ बातें
लहराती हुए सी वो ठिठोली

यही सब था वैसे कुल मिला कर
और वही सब अब कविताकी पोटली मै बांध कर
सोप दिया उस ने मुझे अब
ताकि मन के बटुवे मै संजो
कुछ लव्जो को पिरो कर
उस की याद को जिन्दा रखु
पलक










6 comments:

M VERMA said...

इन एहसासों को बाँधनी ही होगी पोटली में - कविता की, आखिर यही तो धरोहर है
सुन्दर कविता

mai... ratnakar said...

aapke is khoobsoorat lekhan kee bhee yaad hamesha zinda rahegee
kafee achchha likha hai aapne

Sunil said...

Bheed mein rehkar bhi mein kahi aour rehta hoon...akeke hote bhi mein akela nahi hota....mere saath uski "Yaad" hoti hai humesha!!

Khoya khoya sa rehta hooon mein...thak kar sona chahu to neend nahi aati..kyun ki neend se pehle uski "yaad" aa jaati hai!!!

संजय भास्‍कर said...

बहुत पसन्द आया
हमें भी पढवाने के लिये हार्दिक धन्यवाद
बहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ..

Anonymous said...

Forever yours......Palak

Coool...............

raaaj said...

Forever yours......Palak

Coool...............