Friday, September 26, 2008

एक कोशिश.. तुजे भूल जाने की ....


तुझे भूलने की कोशिश में,
जब दिल ये ज़िद पे आ गया,
मैं आँख मूँद के बैठ गयी,
तू ख़याल पे फिर छा गया…

ये धड़कन कहीं रुक जाए ना,
मेरी नब्ज़ ठहर ना जाए कहीं,
तूने वक़्त किया मेरा लम्हा लम्हा,
मगर मौत को आसान बना गया…

मेरी हर दलील को किया अनसुनी,
मेरी फ़रियाद भी तो सुनी नहीं,
मैं हैरान हूँ, हाँ कुछ परेशान हूँ,
ऐसा फ़ैसला तू मुझे सुना गया…

मुझे चाँद की कभी तलब ना थी,
मुझे सूरज की भी फ़िक्र नहीं,
बस आँख खोलना ही चाहते थे हम,
मगर तू रोशनी ही बुझा गया….

बेशक भूलना तुझे चाहा बहुत,
हँस कर कभी, रो कर कभी,
दे कर ये आँसुओं की सौगात मुझे,
तू दामन अपना बचा गया….

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3 comments:

Dr. Ravi Srivastava said...

आप पे कुर्बान मेरी यारी है
हंस के मर्जों इस की तय्यारी है
सिलसिला कभी ख़तम न हो ये दोस्ती का
हमने आप को याद किया अब आपकी बारी है....miss u.

Anonymous said...

Tasvir teri mujh par,kya kya na kar sakegi,
par teri tarah mujhse,laja to na sakegi..
Rahegi saath hardum,tasvir teri lekin
Teri tarah mujhko,bula to na sakegi

....raaaj

Anonymous said...

jis din sanam main tujhe bhool jaoon wo din akhri ho meri zindagi ka ye ankhain ussee raat ho jaen andhi jo tere siva dekain sapna kisi ka...

Pearl...