Sunday, September 14, 2008

हम अधूरे से लगते है...!!

रुपहली किरनो से सजाया जो आसमान
चाँद के बिन सितारे अधूरे से लगते है
समंदर की गहराई में छुपाया जो खजाना
मोतियो के बिन सीप अधूरे से लगते है
इज़हार करने जाओ जो गम-ए-जमाना
आसुओ के बिन नयन अधूरे से लगते है
महफ़िल में सजाओ जो गीतो का तराना
सुरताल के बिन साज़ अधूरे से लगते है
तुम हमे कितने अज़ीज़ कैसे करे बयान
तुम्हारे बिना हम अधूरे से लगते है...!!
पलक

3 comments:

Anonymous said...

तुम हमे कितने अज़ीज़ कैसे करे बयान
तुम्हारे बिना हम अधूरे से लगते है...!!

theses lines r really touchy....

Anonymous said...

Tum bin Pal adhure lagti hai...
Hai na!

Pearl....

Anonymous said...

Adhoori saans thi…
Dhadkan adhoori thi…
Adhoore hum…
Magar ab chand poora hai falak pe…
Aur ab poore hai hum.

.....
raaaj