Tuesday, September 9, 2008

फासले ऐसे भी होगे ...!


फासले ऐसे भी होगे ये कभी सोचा ना था
सामने भी था वो मेरा पर वो मेरा ना था
वो कोई खुश्बू की तरह फैला था मेरे चारो और
मै उसे महसूस कर सकती थी पर छूना मुमकिन ना था
रात भर उस की आहात कानो मई आती रही
जाख कर देखा गली मै पर वो आया ना था
अक्स तो मौजूद था पर अक्स तन्हाई के थे
आइना तो था मगर उस मैं तेरे चेहरा ना था
आज उस ने दर्द भी अपने अलहदा कर दिया
आज हम रोये तो मेरे साथ वो रोया ना था
याद करके और भी तकलीफ होती है
भूल जाने के सिवा अब कोई भी चारा ना था.. पलक

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